शिक्षक हितों की रक्षा के लिए डूटा का कॉलेजों में धरने का सफल आयोजन
मोतीलाल नेहरु कॉलेज
पीएच.डी.एम.फिल. इंक्रीमेंट, पूर्व सेवा का लाभ व कॉलेजों के अधिग्रहण जैसे महत्त्वपूर्ण विषयों पर डूटा ने खोला मोर्चा
यूसीएमएस विश्वविद्यालय का अभिन्न अंग
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) द्वारा गुरुवार को विभिन्न कॉलेजों में शिक्षक अधिकारों व समस्याओं के तत्काल निदान की माँग को लेकर धरने का आयोजन किया गया। डूटा के आह्वान पर आयोजित इस धरने के माध्यम से शिक्षकों ने साफ कर दिया है कि शैक्षिक न्याय हेतु वे एकजुट हैं और विभिन्न विषयों पर तत्काल राहत ही एकमात्र समाधान है।
शिक्षक संघ के अध्यक्ष प्रो. ए.के. भागी ने साफ किया कि विभिन्न कॉलेजों में आयोजित शिक्षकों का धरना पूर्णतया सफल रहा और इसके माध्यम से शिक्षकों ने पीएच डी/एम.फिल. इंक्रीमेंट, पूर्व की पूर्ण सेवा का लाभ, दिल्ली सरकार द्वारा यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) के अधिग्रहण व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से प्रस्तावित वेतनमान में संशोधन के मसौदा नियमों में शिक्षकों का अहित कतई स्वीकार्य नहीं होगा।
डूटा की ओर से दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेजों में आयोजित धरने के माध्यम से सेवा शर्तों और शैक्षिक न्याय के लिए शिक्षक आंदोलन को गति दी गई। शिक्षकों ने पीएमडी एमफिल के लिए अग्रिम वृद्धि पर गलत स्पष्टीकरण व पत्र का विरोध किया और संबंधित की तत्काल वापसी की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने अपने लंबे समय से चली आ रही अन्य मागों को भी उठाया। जिसमें पदोन्नति के लिए पूर्व सेवा लाभ प्रदान किए जाने और हाल ही में दिल्ली सरकार द्वारा यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के अधिग्रहण की कोशिशों का भी विरोध शामिल रहा।
डूटा के अध्यक्ष प्रो. ए. के. भागी ने कहा कि यूजीसी और शिक्षा मंत्रालय अपने ही फैसले और वैधानिक घोषणाओं से पीछे हट रही है । इससे जुडी घोषणा स्वयं तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री प्रकाश जावडेकर द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से की गई थी और वृद्धि की इसे संबंधित अधिसूचना भी जारी की गई थी. डूटा द्वारा यूजीसी की ओर से प्रस्तुत सेवा शर्तो को लेकर कहा गया है कि बिना वेतनमान में संशोधन के कोइ भी नियम लागू नहीं हो सकता है. कॉलेजों के स्तर पर आयोजित इस विरोध प्रदर्शन ने शिक्षकों में असंतोष को जगजाहिर कर दिया है और अब साफ हो गया है कि नीतिगत अस्पष्टताओं व एकतरफा और अन्यायपूर्ण निर्णयों के कारण वित्तीय असुरक्षाओं से प्रेरित प्रयासों को शिक्षक स्वीकार नहीं करेंगे.
श्यामलाल कॉलेज,दिल्ली विश्वविद्यालय
डूटा की ओर से गुरुवार को आयोजित यह धरना 7 मार्च 2025 को यूजीसी में आयोजित धरने के बाद आयोजित दूसरा धरना रहा । इसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के 50 से अधिक कॉलेजों जिसमें, मोतीलाल नेहरु कॉलेंज, आर्यभट्ट, राम लाल आंनद, दयाल सिंह कॉलेज, भगत सिंह,कॉलेज, हिन्दू कॉलेज, मिरांडा हाउस,शिवाजी कॉलेज , माता सुंदरी कौलेज फौर वुमन आदि के 3000 से अधिक शिक्षक इसमें शामिल हुए।
डूटा उपाध्यक्ष सुधांशु कुमार ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए स्पष्ट किया है कि पीएचडी/एमफिल के लिए अग्रिम वृद्धि एक स्थापित अधिकार है, और इसे कमजोर करने की कोई भी कोशिश स्वीकार्य नहीं है। उनका कहना था कि इस तरह का कदम शैक्षिक क्षेत्र में उच्च योग्यता प्राप्त व्यक्तियों को आकर्षित करने में बाधक होगा, जिससे उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ेगा।
विरोध करने वाले शिक्षकों ने पदोन्नति के लिए पूर्व सेवा की गिनती की मांग की और दिल्ली सरकार द्वारा यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) के अधिग्रहण के कदम को भी सिरे से खारिज किया। इट्टा ने साफ किया कि दिल्ली सरकार अपने फैसले पर पुनर्विचार करते हुए यूसीएमएस की स्वातत्ता व अखंडता को बनाए रखने में सहयोग करो टूटा ने शिक्षकों के हितों की रक्षा करने हेतु अपनी संकल्प को दोहराया और स्पष्ट किया कि जब तक समाधान नहीं होगा, संघर्ष जारी रहेगा।