दिल्ली विश्वविद्यालय ईसी की 1275 वीं बैठक:

        दिल्ली विश्वविद्यालय ईसी की 1275 वीं बैठक         


ऑपरेशन सिंदूर पर दिल्ली विश्वविद्यालय का भारत सरकार को हर संभव सहयोग व समर्थन   

हिफ़ा लोन का 10 वर्ष में लौटना होगा केवल 10% वापिस: कुलपति प्रो. योगेश सिंह 

एनईपी 2020 में है हर कोर्स 4 साल का, विद्यार्थियों के पास है मल्टीपल एक्ज़िट और मल्टीपल एंट्री का विकल्प                


दिल्ली विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद (ईसी) की 1275 वीं बैठक का आयोजन शुक्रवार, 23 मई को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह की अध्यक्षता में हुआ। बैठक के आरंभ में पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए लोगों को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि आतंकवाद को पूरी तरह से खत्म करने के लिए भारत सरकार द्वारा ऑपरेशन सिंदूर चलाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि ऐसी कठिन स्थितियों के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय भारत सरकार को हर संभव समर्थन और सहयोग प्रदान करेगा। इस संदर्भ का प्रस्ताव विश्वविद्यालय अकादमिक परिषद (एसी) की 1022 वीं बैठक के दौरान पारित किया गया था। कुलपति ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए ईसी में भी यह प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया।           


जीरो आवर के दौरान कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने एक प्रश्न पर जानकारी देते हुए बताया कि डीयू को 10 वर्षों में हिफ़ा लोन का केवल 10% ही वापिस लौटना है। यह एक अच्छी योजना है। उन्होंने बताया कि डीयू में हिफ़ा से मिली राशि से नए भवनों और ढांचागत सुविधाओं का निर्माण हो रहा है जिससे विद्यार्थियों को अच्छी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। डीयू कर्मचारियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार के मामले में जानकारी देते हुए कुलपति ने बताया कि दिल्ली स्थित रेलवे अस्पताल के साथ डीयू का एक एमओयू हुआ है। इसके तहत डीयू के कर्मचारियों को भी सीजीएचएस रेट पर वहां इलाज की सुविधा उपलब्ध कारवाई गई है जिसका बहुत से कर्मचारी लाभ उठा रहे हैं।   

एनईपी 2020 के तहत स्नातक (यूजी) में चौथे वर्ष को लेकर स्पष्टीकरण देते हुए कुलसचिव डॉ विकास गुप्ता ने बताया कि एनईपी 2020 में हर स्नातक (यूजी) कोर्स 4 साल का ही है, लेकिन इसमें विद्यार्थियों के पास मल्टीपल एक्ज़िट और मल्टीपल एंट्री का विकल्प उपलब्ध है। वो जब चाहें छोड़ कर जा सकते हैं। पहले की एजुकेशन पॉलिसी में 3 वर्ष के कोर्स को बीच में छोडने पर विद्यार्थियों को कुछ नहीं मिलता था, लेकिन एनईपी 2020 में अच्छा प्रावधान यह है कि बीच में कोर्स छोडने पर विद्यार्थियों को सर्टिफिकेट से लेकर डिग्री तक मिलने का प्रावधान है। बैठक के आरंभ में डीयू रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता ने एजेंडा प्रस्तुत किया। 

इस अवसर पर विभिन्न विभागों/ प्रोग्रामों के पाठ्यक्रम को भी ईसी द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई। गत 10 मई को आयोजित हुई डीयू अकादमिक परिषद की बैठक में की गई सिफारिशों पर विचार के उपरांत विभिन्न विभागों/ प्रोग्रामों के पाठ्यक्रम को भी ईसी द्वारा स्वीकृति प्रदान की गई। इसके तहत कई पाठ्यक्रमों के मौजूदा सीबीसीएस/एलओसीएफ आधारित पाठ्यक्रम/परीक्षा योजनाओं को संशोधित स्नातक पाठ्यक्रम रूपरेखा-2022/स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम रूपरेखा-2024 पाठ्यक्रम/परीक्षा योजनाओं के अनुरूप अनुमोदन किया गया। 

 

डीयू के हिन्दी और अंग्रेजी विभाग में भी होगी पत्रकारिता में एमए की पढ़ाई 

दिल्ली विश्वविद्यालय के हिन्दी और अंग्रेजी विभागों में भी अब पत्रकारिता में एमए की पढ़ाई कारवाई जाएगी। गौरतलब है कि पिछले दिनों डीयू के दक्षिणी परिसर के पत्रकारिता विभाग में स्टुडियो का उद्घाटन करते हुए कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने घोषणा की थी कि डीयू पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमे के अलावा स्नातकोत्तर का पाठ्यक्रम भी शुरू करेगा। इसके लिए कमेटियों का गठन किया गया है। दक्षिण परिसर के हिंदी विभाग में ‘दो वर्षीय स्नातकोत्तर हिन्दी पत्रकारिता पाठ्यक्रम’ के शुभारंभ हेतु डीयू के दक्षिणी दिल्ली परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया है। इसके अलावा डीयू के अंग्रेजी विभाग के अंतर्गत ‘अंग्रेजी पत्रकारिता में स्नातकोत्तर’ नामक एक नया कार्यक्रम शुरू करने के लिए भी समिति के गठन को मंजूरी प्रदान की गई है। 

 

शिक्षकों की वरिष्ठता निर्धारित करने के नियम पारित 

दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेजों और संबंधित कॉलेजों/संस्थानों के विभागों में शिक्षकों (सहायक प्रोफेसर/लेक्चरर) की वरिष्ठता के लिए नियमों को डीयू ईसी ने पारित कर दिया है। इसके तहत यदि सभी सापेक्ष योग्यताएं समान हैं, तो सभी उद्देश्यों के लिए शिक्षकों की वरिष्ठता आयु/जन्म तिथि के आधार पर निर्धारित की जा सकती है। गौरतलब है कि डीयू के डीन ऑफ कॉलेजिज प्रो. बलराम पाणी की अध्यक्षता में इस विषय पर एक समिति गठित की गई थी। समिति की विस्तृत रिपोर्ट पर विचार करने के उपरांत यह नियम पारित किए गए हैं। समिति ने इस मुद्दे पर हितधारकों की चिंताओं का विश्लेषण करते हुए पाया कि कॉलेजों के बीच बहुत सारी चिंताएं/आरोप और अस्पष्टता रही है कि विभाग के भीतर शिक्षकों की वरिष्ठता और किसी भी संबंधित कॉलेज के विभागों में वरिष्ठता निर्धारित करते समय कौन सी पद्धति अपनाई जाए। इसलिए, कॉलेज/संस्थान दुविधा की स्थिति में हैं, क्योंकि ऐसे बहुत सारे आरोप/चिंताएं प्राप्त होती हैं, खासकर तब जब सभी मामलों में सापेक्ष योग्यता और अन्य चीजें समान होती हैं। 

सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद समिति ने राय दी कि यदि सभी सापेक्ष योग्यता समान हैं, तो सभी उद्देश्यों के लिए शिक्षकों की वरिष्ठता आयु/जन्म तिथि के आधार पर निर्धारित की जा सकती है, जो शिक्षक उम्र में बड़ा है उसे उस शिक्षक से वरिष्ठ माना जाएगा जो उम्र में छोटा है और यदि उम्र भी समान है, तो वरिष्ठता एपीआई स्कोर के आधार पर निर्धारित की जाएगी। हालांकि, किसी भी मामले में अध्यादेश XI (11) के तहत परिकल्पित प्रावधानों से समझौता नहीं किया जाएगा। 

आर्मी हॉस्पिटल में शुरू होगा बीएससी (न्यूक्लियर मेडिसिन टेक्नोलॉजी) कोर्स

डीयू के चिकित्सा विज्ञान संकाय के अंतर्गत आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर), दिल्ली कैंट में एक नया कोर्स, बीएससी (न्यूक्लियर मेडिसिन टेक्नोलॉजी), इसी शैक्षणिक सत्र से शुरू किया जाएगा। रेडियोलॉजी विभाग के तहत इस कोर्स की अवधि तीन वर्ष + एक वर्ष की इंटर्नशिप (वैकल्पिक) होगी। इस कोर्स का उद्देश्य परमाणु चिकित्सा चिकित्सकों के साथ मिलकर काम करने और परमाणु चिकित्सा विभाग के दैनिक संचालन में भाग लेने के लिए उपयुक्त ज्ञान और कौशल प्रदान करना है।

इस कोर्स में प्रवेश के लिए अभ्यर्थी भारतीय सशस्त्र सेना चिकित्सा सेवा (एएफएमएस) में कार्यरत होना चाहिए। उसने 6 वर्ष की सेवा पूरी कर ली हो। उसका सेवा रिकॉर्ड अच्छा होना चाहिए। अभ्यर्थियों को केंद्रीय माध्यमिक परीक्षा बोर्ड (सीबीएसई), भारतीय माध्यमिक शिक्षा प्रमाणपत्र (आईसीएसई) या किसी अन्य मान्यता प्राप्त समकक्ष राज्य बोर्ड परीक्षा द्वारा आयोजित उच्चतर माध्यमिक परीक्षा (शैक्षणिक) उत्तीर्ण होना चाहिए, जिसमें भौतिकी, रसायन विज्ञान और जीव विज्ञान/वनस्पति विज्ञान और प्राणि विज्ञान विषयों में न्यूनतम 50% अंकों (कुल मिलाकर) के साथ उत्तीर्ण होना चाहिए और अंग्रेजी एक विषय के रूप में होनी चाहिए। उपर्युक्त मानदंडों को पूरा करने में विफल रहने वाले सेना के अपर्याप्त उम्मीदवारों के कारण रिक्त रह जाने वाली सीटों पर, संबंधित चिकित्सा सेवाओं में समकक्ष मानदंडों के आधार पर भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना के चिकित्सा सहायकों को नियुक्ति की पेशकश की जाएगी।

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