डीयू अकादमिक परिषद की 1023 वीं बैठक:
पेपर चेकिंग के लंबित बिलों का हो जल्द से जल्द भुगतान: कुलपति प्रो. योगेश सिंह
डीयू एसी ने दी पूर्व पीवीसी प्रोफेसर पीसी जोशी को श्रद्धांजलि
डीयू के कॉलेजों में पढ़ाया जाएगा “भारतीय इतिहास में सिख शहादत”
नई दिल्ली, 05 जुलाई।

दिल्ली विश्वविद्यालय अकादमिक परिषद (एसी) की 1023 वीं बैठक का आयोजन कुलपति प्रो. योगेश सिंह की अध्यक्षता में 05 जुलाई, 2025 को हुआ। दिल्ली विश्वविद्यालय अकादमिक परिषद की बैठक के आरंभ में डीयू के पूर्व प्रति कुलपति एवं पूर्व एक्टिंग कुलपति स्वर्गीय प्रोफेसर पीसी जोशी को श्रद्धांजलि दी गई। इस अवसर पर उनकी सेवाओं को भी याद किया गया और एक शोक प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक में जीरो आवर के दौरान एक सदस्य द्वारा पेपर चेकिंग की पेमेंट में देरी का मुद्दा उठाए जाने पर कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने आदेश दिया कि सभी विभाग लंबित बिलों को जल्दी सबमिट करें और परीक्षा शाखा एवं वित्त विभाग जल्द से जल्द भुगतान सुनिश्चित करें। कुलपति ने कहा कि शिक्षकों को भुगतान समय पर मिलना चाहिए।
डीयू के कॉलेजों में “भारतीय इतिहास में सिख शहादत (लगभग 1500-1765)” को सामान्य वैकल्पिक पाठ्यक्रम के रूप में पढ़ाया जाएगा। इसके कोर्स को अकादमिक परिषद ने स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। डीयू के सीपीआईएस द्वारा सिख शहादत का कोर्स प्रस्तुत करने पर कुलपति ने सीपीआईएस को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह कोर्स केवल सिखों के इतिहास से संबंधित ही नहीं बल्कि भारत के इतिहास से भी संबंधित है। कुलपति प्रो. योगेश सिंह के निर्देशानुसार पांच वर्षों के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय का अंडरग्रेजुएट अकादमिक सत्र एक अगस्त से शुरू हो रहा है। इसके लिए अकादमिक परिषद के सदस्यों ने कुलपति का आभार जताया। बैठक के आरंभ में ज़ीरो ऑवर के दौरान परिषद के सदस्यों ने अनेकों मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की और अपने-अपने विचार एवं सुझाव प्रस्तुत किए।
बैठक के दौरान रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता द्वारा एजेंडा प्रस्तुत किया गया। एजेंडे के अनुसार शैक्षणिक मामलों पर अकादमिक परिषद की स्थायी समिति की बैठकों में की गई सिफारिशों पर विचार करते हुए स्नातक पाठ्यक्रम रूपरेखा (यूजीसीएफ़) 2022 के आधार पर विभिन्न संकाय के पाठ्यक्रमों को भी चर्चा के पश्चात स्वीकृति प्रदान की गई। इसी प्रकार स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम रूपरेखा (पीजीसीएफ़) 2024 के आधार पर विभिन्न संकाय के पाठ्यक्रमों को मामूली संशोधनों के साथ स्वीकृति प्रदान की गई।
डीयू विद्यार्थी जीई में पढ़े सकेंगे “भारतीय इतिहास में सिख शहादत”
दिल्ली विश्वविद्यालय के स्वतंत्रता एवं विभाजन अध्ययन केंद्र (सीआईपीएस) द्वारा “भारतीय इतिहास में सिख शहादत (लगभग 1500-1765)” के नाम से एक कोर्स प्रस्तुत किया गया है जो सभी सामान्य वैकल्पिक पाठ्यक्रमों के लिए है। सभी कॉलेजों के लिए प्रस्तुत यह स्नातक कोर्स 4 क्रेडिट का है जिसमें दाखिले की पात्रता के लिए किसी भी स्ट्रीम में कक्षा 12वीं पास होना आवश्यक है। इस पाठ्यक्रम का उद्देश्य सिख समुदाय के साथ जुड़े ऐतिहासिक संदर्भ एवं सिख शहादत के प्रमुख ऐतिहासिक उदाहरणों, धार्मिक उत्पीड़न और आधिपत्य पूर्ण राज्य उत्पीड़न के खिलाफ प्रतिरोध को समझना है। इस कोर्स के माध्यम से विद्यार्थी मुगल राज्य और समाज पर विशेष रूप से तथा सामान्य रूप से भारतीय इतिहास पर उभरते इतिहास लेखन में विद्यमान अंतराल को समझ सकेंगे। इस कोर्स से विद्यार्थी सिखों की शहादत का अब तक उपेक्षित सामाजिक-धार्मिक इतिहास और सिखों पर विशेष ध्यान देने के साथ भारतीय इतिहास में विकसित होते समाज पर आलोचनात्मक समझ विकसित कर सकेंगे।
कोर्स में यूनिट एक के तहत विद्यार्थियों को सिख धर्म का विकास, मुगल राज्य और समाज: पंजाब, सिख धर्म में शहादत और शहादत की अवधारणा, सिख गुरुओं के अधीन सिख: गुरु नानक देव से गुरु रामदास तक सिख धर्म का ऐतिहासिक संदर्भ पढ़ाया जाएगा। यूनिट दो में शहादत की गाथा के तहत आधिपत्य मुगल राज्य और दमन, गुरु अर्जन देव: जीवन और शहादत, राज्य की नीतियों पर प्रतिक्रियाएँ: गुरु हरगोबिंद से गुरु हरकृष्ण तक, गुरु तेग बहादुर: जीवन और शहादत, भाई मति दास, भाई सती दास, भाई दयाला के संदर्भ पढ़ाए जाएंगे।
यूनिट तीन में गुरु गोबिंद सिंह का जीवन: संत सिपाही, चमकौर की लड़ाई: साहिबजादा अजीत सिंह और साहिबजादा जुझार सिंह की शहादत, छोटे साहिबजादों की शहादत - साहिबजादा जोरावर सिंह और साहिबजादा फतेह सिंह तथा बंदा सिंह बहादुर का उदय: लड़ाई और शहादत पढ़ाया जाएगा। यूनिट चार में अन्य सिख योद्धा, शहीद और भक्ति और वीरता के स्थान के तहत भाई मनी सिंह, बाबा दीप सिंह, भाई बोता सिंह, भाई तारू सिंह और हकीकत राय, माई भागो और बीबी अनूप कौर, श्री हरमंदिर साहिब, आनंदपुर साहिब, सरहिंद, गुरुद्वारा सीस गंज, गुरुद्वारा रकाब गंज, लोहगढ़ किला के बारे में पढ़ाया जाएगा। ट्यूटोरियल के दौरान क्लासरूम शिक्षण को ऐतिहासिक स्थानों की यात्रा और दृश्य संसाधन फिल्मों/वृत्तचित्रों आदि की स्क्रीनिंग के साथ पूरक बनाया जाएगा।
एसईसी में डीयू के विद्यार्थी सीख सकेंगे रेडियो जॉकिंग के गुर
स्किल एन्हांसमेंट कोर्सों (एसईसी) के तहत अब डीयू के विद्यार्थी रेडियो जॉकिंग के गुर भी सीखेंगे। इसमें आवाज़ प्रशिक्षण, उच्चारण, स्टूडियो संचालन और रियल टाइम शो होस्टिंग सहित मॉक स्टूडियो अभ्यास और पेशेवरों के साथ बातचीत जैसे कार्यों का प्रशिक्षण विद्यार्थियों को दिया जाएगा। आवाज़ का वार्म-अप, सांस पर नियंत्रण, पिच, टोन और उच्चारण, माइक्रोफ़ोन, ऑडियो कंसोल, रिकॉर्डिंग सॉफ्टवेयर की मूल बातें, म्यूजिक क्यूरेशन और सेगमेंट प्लानिंग, शो शेड्यूलिंग, लाइव ऑडियंस इंटरैक्शन, स्क्रिप्ट रीडिंग, डिक्शन, इंटोनेशन, एंकरिंग अभ्यास और फीडबैक जैसी बारीकियां सिखाई जाएंगी।
अंडरग्रेजुएट करिकुलम फ्रेमवर्क (यूजीसीएफ़) 2022 पर आधारित डीयू के कौशल संवर्द्धन पाठ्यक्रमों (एसईसी) की सूची में रेडियो जॉकिंग सहित कुछ नए कोर्स भी जोड़े जा रहे हैं। अकादमिक परिषद की बैठक में इस आशय के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके तहत वैक्यूम टेक्नोलॉजी, इको-प्रिंटिंग ऑन टेक्सटाइल, सर्फ़ेस ओर्नामेंटेशन, डिजिटल टूल्स फॉर इंटीरियर डिजाइनिंग, रेडियो जॉकिंग,मेडिकल डायग्नोस्टिक्स, मेथड्स इन एपिडेमिओलोजिकल डाटा एनालिसिस और मेथड्स इन एपिडेमिओलोजिकल डाटा कलेक्शन नामक 8 नए कोर्स भी एसईसी में पढ़ाए जाएंगे।
यूजी के चौथे वर्ष में शोध प्रबंध, शैक्षणिक परियोजनाओं और उद्यमिता के पर्यवेक्षण के लिए मसौदा पेश
दिल्ली विश्वविद्यालय शैक्षणिक सत्र 2025-26 से स्नातक कार्यक्रमों के चौथे वर्ष को लागू कर रहा है, जिसमें यूजी स्तर पर पहली बार छात्रों को तीन ट्रैक प्रदान किए गए हैं, अर्थात् - शोध प्रबंध, शैक्षणिक परियोजनाएं और उद्यमिता। यूजीसी रेगुलेशन, 2018 (समय-समय पर संशोधित) के साथ यूजीसीएफ 2022 के अनुसार विश्वविद्यालय के कॉलेजों में यूजी कार्यक्रमों के चौथे वर्ष में शोध प्रबंध, शैक्षणिक परियोजनाओं और उद्यमिता के पर्यवेक्षण के लिए एक मसौदा दिशानिर्देश तैयार किया गया है। इसे विचार विमर्श हेतु अकादमिक परिषद की बैठक में प्रस्तुत किया गया। अकादमिक काउंसिल की बैठक में चर्चा के पश्चात इन्हें पारित कर दिया गया।
इसके अनुसार संकाय पर्यवेक्षण के लिए सभी संकाय सदस्य, पीएचडी के साथ या उसके बिना, शोध, शोध प्रबंध या उद्यमिता परियोजनाओं को लेने वाले छात्रों के पर्यवेक्षण के लिए पात्र होंगे। पर्यवेक्षकों को यथासंभव छात्र के विषय और उक्त क्षेत्र में संकाय विशेषज्ञता के आधार पर छात्रों को आवंटित किया जाना चाहिए। कॉलेज पर्यवेक्षण के लिए छात्रों के आवंटन के उद्देश्य से एक वस्तुनिष्ठ पैरामीटर तैयार कर सकते हैं। सहायक प्रोफेसर या उद्योग विशेषज्ञ (उद्यमिता ट्रैक के लिए) की योग्यता रखने वाले शिक्षाविद, विश्वविद्यालय प्रणाली के भीतर या बाहर, पेशेवर योग्यता के साथ, सह-पर्यवेक्षक के रूप में नियुक्त किए जा सकते हैं। प्रत्येक छात्र के लिए अनुसंधान हेतु एक सलाहकार समिति (एसीआर) निर्धारित तरीके से गठित की जाएगी। एक संकाय सदस्य अधिकतम 10 छात्रों का पर्यवेक्षण कर सकता है, जो संबंधित प्रोग्राम के छात्र-शिक्षक अनुपात के अधीन है। कॉलेज की शोध समिति (आरसीसी) उचित औचित्य के साथ पर्यवेक्षक को सौंपे गए छात्रों की संख्या बढ़ाने का निर्णय ले सकती है। शोध प्रबंध लेखन एक छात्र द्वारा व्यक्तिगत रूप से किया जाना चाहिए, न कि समूहों में। छात्र को हर महीने एक बार शोध सलाहकार समिति (एसीआर) के समक्ष उपस्थित होना होगा और मूल्यांकन तथा आगे के मार्गदर्शन के लिए अपने काम की प्रगति की प्रस्तुति देनी होगी। शोध सलाहकार समिति (एसीआर) द्वारा अनुमोदित प्रत्येक छात्र के लिए मासिक प्रगति रिपोर्ट (एमपीआर) कॉलेज की विषय शोध समिति (एसआरसी) को प्रस्तुत की जानी चाहिए। इन दिशा-निर्देशों की व्याख्या और कार्यान्वयन से उत्पन्न किसी भी विवाद या मतभेद के संबंध में कुलपति का निर्णय अंतिम होगा।
शैक्षणिक सत्र 2016-2017 में प्रवेश लेने वाले छात्रों को बैकलॉग को पूरा करने हेतु मिल सकती है आगे दो साल की अनुमति
शैक्षणिक सत्र 2016-2017 में डीयू में प्रवेश लेने वाले वे सभी छात्र जो किसी भी कारण से अपने प्रोग्राम के लिए निर्धारित न्यूनतम अवधि की सामान्य अवधि के भीतर उसे पूरा करने में सक्षम नहीं हैं, उन्हें डिग्री के लिए योग्य होने के लिए बैकलॉग को पूरा करने हेतु सामान्य अवधि से दो साल आगे की अनुमति दी जा सकती है। गौरतलब है कि सीबीसीएस से यूजीसीएफ में परिवर्तन के कारण पाठ्यक्रम ढांचे में इस तरह के बदलाव से ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जहां कुछ छात्र विश्वविद्यालय के अध्यादेशों के संशोधित अध्यादेश 8 के तहत निर्धारित अवधि के भीतर अपनी पढ़ाई पूरी करने में असमर्थ हैं। इस पृष्ठभूमि पर छात्रों के व्यापक हित में इस मामले पर व्यापक रूप से विचार-विमर्श किया गया है ताकि उन्हें सीबीसीएस के तहत अपने स्नातक/ स्नातकोत्तर कार्यक्रमों को पूरा करने में सुविधा हो, क्योंकि वे छात्र जो सीबीसीएस के अंतिम चरण में एक वर्ष से पीछे रह गए हैं, वे एक अतिरिक्त वर्ष की अवधि के इस उपाय का लाभ उठा सकेंगे।