एडवांस इनक्रीमेंट रोके जाने के खिलाफ डूटा का प्रदर्शन
शिक्षको ने किया UGC के बाहर किया प्रदर्शन
चित्र : यूजीसी: नई दिल्ली
10 फरवरी को यूजीसी ने एडवांस इंक्रीमेंट को लेकर देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयों को एक पत्र भेजा, जिसमें एम फिल और पी एच डी के लिए दी गई एडवांस इंक्रीमेंट को रोकने और वसूली संबंधी निर्देश दिए दिए थे.
नई दिल्ली:
दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (DUTA) ने बीते शुजरवार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के गेट पर जोरदार धरना प्रदर्शन किया. यह प्रदर्शन शिक्षकों के एडवांस इंक्रीमेंट रोकने और वसूली संबंधी स्पष्टीकरण पत्र के विरोध और शिक्षकों की अन्य मांगों को लेकर किया गया था. दिल्ली विश्विद्यालय समेत देशभर के शिक्षक बड़ी संख्या में इस धरने में शामिल हुए.
चित्र : यू जी सी नई दिल्ली
धरने में आए शिक्षको को संबोधित करते हुए डूटा अध्यक्ष ए के भागी ने कहा कि एडवांस इंक्रीमेंट स्पष्टीकरण को तुरंत प्रभाव से वापस लिया जाए. उन्होंने बताया कि पहले भी नवंबर 2017 में एम.फिल. और पी एच डी अग्रिम वेतन वृद्धि को रोकने के प्रयास किए गए थे, लेकिन शिक्षक के जबरदस्त विरोध के कारण यह संभव नहीं हुआ.
चित्र : यूजीसी नई दिल्ली (New Delhi)
स्थाई रूप से नियुक्त शिक्षकों को एम. फिल और पी एच डी की उपाधि के लिए प्रोत्साहन के रूप में एडवांस इंक्रीमेंट का व्यवधान चौथे वेतन आयोग में देना शुरू किया गया था. चौथे वेतन आयोग से लेकर सातवें वेतन आयोग में निरंतर केंद्रीय विश्वविद्यालय, आई आई टी और आई आई एम में इसे दिया जा रहा था. लेकिन हाल ही में 10 फरवरी को यूजीसी ने एडवांस इंक्रीमेंट स्पष्टीकरण संबंधी पत्र देशभर के केंद्रीय विश्वविद्यालयो को भेजा, जिसमें एम फिल और पी एच डी के लिए दी गई एडवांस इंक्रीमेंट को रोकने और वसूली संबंधी निर्देश दिए गए थे. इस स्पष्टीकरण में इंक्रीमेंट रोकने और वसूली को लेकर देश भर के शिक्षक आक्रोश में थे.
ज्ञात हो कि ऐसा एक पत्र पहले भी आया था और शिक्षको के रोष के कारण उसे वापस ले लिया गया था। कुछ शिक्षको का मानना है कि इस तरह की चिट्ठी शिक्षको को हतोत्साहित करती है। पढ़ाने के लिए पढ़ने की भी जरूरत होती है। यदि आप एम फिल/ पी.एच.डी की पढ़ाई करने से शिक्षको का आर्थिक नुकसान है तो वह क्यों पढ़ेगा। क्यों वह इस ओर आयेगा। इसे तुरंत वापस लिया जाना चाहिए।
नई दिल्ली, यू जी सी
धरने के बाद प्रोफेसर ए के भागी के नेतृत्व में दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने इस बाबत एक ज्ञापन यूजीसी चेयरमैन एम जगदीश को सौंपकर इसे वापस लेने की मांग की ।
डूटा अध्यक्ष ने नवनियुक्त स्थाई शिक्षक जिनके पास लंबा एडहॉक सर्विस है को पूर्ण रुप से सर्विस में जोड़े जान की मांग भी की. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित कॉलेजों की ग्रांट और वेतन की समस्या के स्थाई समाधान के लिए केंद्र सरकार को इनका अधिग्रहण करना चाहिए. इलाहबाद विश्वविद्यालय शिक्षक संघ और इलाहाबाद विश्वविद्यालय संघटक महाविद्यालय शिक्षक संघ के पदाधिकारियों ने भी धरने प्रदर्शन में भाग लेकर यूजीसी के आदेश को वापस लेने की मांग की.
डूटा उपाध्यक्ष सुंधाशु कुमार और डॉ त्रिवेंद्र चुंबक ने कहा कि अगर शिक्षक की मांग को पूरा नहीं किया जाता है तो आने वाले समय में इस आंदोलन को तेज किया जाएगा.
डूटा के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय के विभिन्न कॉलेज स्टाफ एसोसिएशन ने भी धरने में बढ़ चढ़कर अपनी भागीदारी निभाई। एम फिल पी एच डी इंक्रीमेंट को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई कॉलेज में कई दिनों से लगातार धरना प्रदर्शन चल रहा था। इस तरह के प्रदर्शन शिक्षको के रोष को लगातार दर्शाते रहे हैं।