दिल्ली विश्वविद्यालय ईसी की 1278 वीं बैठक

 

श्रीलंका की प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी अमरसूर्या को मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करेगा दिल्ली विश्वविद्यालय 

               


                  

कॉलेजों में खाली सीटों पर फिजिकल एडमिशन के माध्यम से हो दाखिलों का प्रावधान: प्रो. योगेश सिंह  

नई दिल्ली, 12 सितंबर। 

दिल्ली विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद (ईसी) की 1278 वीं बैठक का आयोजन शुक्रवार, 12 सितंबर, 2025 को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह की अध्यक्षता में हुआ। बैठक के आरंभ में कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने देश के 15वें उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन को बधाई देते हुए कि वह दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलाधिपति भी हैं, इसलिए उनके स्वागत में डीयू ईसी से प्रस्ताव पारित करके भेजा जाए। सभी ईसी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इस आशय का प्रस्ताव पारित किया। श्रीलंका की माननीय प्रधानमंत्री एवं दिल्ली विश्वविद्यालय की पूर्व छात्रा डॉ. हरिनी अमरसूर्या को मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करने का निर्णय भी लिया गया। इस आशय का प्रस्ताव 11 सितम्बर, 2025 को आयोजित डीयू शैक्षणिक परिषद की आपात बैठक में पारित किया गया था।  

                     


ईसी की बैठक में शून्य काल के दौरान कुछ कॉलेजों यूजी की खाली सीटों को लेकर कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने सुझाव दिया कि इनके लिए ओपन मॉप अप राउंड का आयोजन करने पर विचार किया जाए जिससे कि फिजिकल एडमिशन के माध्यम से विद्यार्थी स्पॉट एडमिशन द्वारा सीधे कॉलेज में दाखिला ले सकें। इस विषय पर ईसी सदस्यों ने नीति निर्धारित करने के लिए कुलपति को अधिकृत कर दिया। एनईपी 2020 के तहत शुरू हुए यूजी के चौथे वर्ष को लेकर कुलपति ने कहा कि प्रत्येक कॉलेज में रिसर्च डिस्कशन रूम बनाए जाएँ तथा शिक्षकों के लिए भी कमरों की व्यवस्था की जाए। ईसीए और स्पोर्ट्स कोटा के तहत दाखिलों को लेकर सभी कॉलेजों के लिए स्पष्ट नीति का मुद्दा ईसी सदस्यों द्वारा उठाए जाने पर कुलपति कहा कि इसके लिए निर्धारित संयुक्त 5 प्रतिशत कोटा का प्रावधान सभी कॉलेजों के लिए है, इसमें 3:2 का प्रावधान कॉलेज अपने स्तर पर वहाँ उपलब्ध सुविधाओं के अनुसार कर सकते हैं कि किसे 3 प्रतिशत देना है और किसे 2 प्रतिशत। ईसी सदस्यों ने नीति निर्धारण के लिए कुलपति को अधिकृत किया। 

 पीएचडी पाठ्यक्रम हेतु दिशानिर्देश

डीयू ईसी की बैठक में पीएचडी पाठ्यक्रम हेतु दिशा निर्देश भी पारित किए गए। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय के सभी विभाग अपने-अपने विषयों में पीएचडी कार्यक्रम प्रदान करते हैं। इस कार्यक्रम के अनिवार्य भाग के रूप में, प्रत्येक विभाग द्वारा पीएच.डी. पाठ्यक्रम संचालित किया जा रहा है। यह देखा गया है कि विभिन्न विषयों में पढ़ाए जा रहे पाठ्यक्रम के स्वरूप में भिन्नताएँ हैं। अतः, विभिन्न विषयों में पीएचडी पाठ्यक्रम में एकरूपता लाने के लिए, शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से प्रभावी होने हेतु कुछ दिशानिर्देश तैयार किए गए हैं, जिन्हें डीयू ईसी द्वारा पारित कर दिया गया है। इनके तहत पीएचडी पाठ्यक्रम के लिए आवश्यक कुल क्रेडिट 12 से 16 क्रेडिट तक होंगे जिनमें न्यूनतम 12 क्रेडिट का वितरण इस प्रकार है.

                         


शोध पद्धति अथवा उन्नत शोध पद्धति (उन छात्रों के लिए जिन्होंने पहले ही शोध पद्धति का अध्ययन कर लिया है) के 4 क्रेडिट होंगे। रिसर्च पब्लिकेशन एथिक्स के 2 क्रेडिट, रिसर्च टूल्स के 2 क्रेडिट और डिसिप्लिन स्पेसिफिक इलेक्टिव कोर्स (शोध क्षेत्रों से संबंधित) के 4 क्रेडिट होंगे। आवश्यकता पड़ने पर डीएसई से अतिरिक्त 4 क्रेडिट प्राप्त किए जा सकते हैं। यह विशिष्ट क्षेत्र में लागू होगा और ऐसे पाठ्यक्रम स्नातकोत्तर अध्ययन में नहीं दिए जाने चाहिए। पीएचडी पाठ्यक्रम के शिक्षण घंटे संकाय के कार्यभार में शामिल हैं। पीएचडी पाठ्यक्रम में दिए जाने वाले पाठ्यक्रम स्नातकोत्तर कार्यक्रमों में दिए जाने वाले पाठ्यक्रमों से उच्च स्तर के होने चाहिए।

 डीयू के हिंदू कॉलेज से समाजशास्त्र में स्नातक हैं डॉ. हरिनी अमरसूर्या: प्रो. योगेश सिंह 

डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि श्रीलंका की माननीय प्रधानमंत्री डॉ. हरिनी अमरसूर्या को डीयू द्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करने के संबंध में ईसी में निर्णय लिया गया है। उनकी भारत यात्रा के दौरान, उन्हें विशेष दीक्षांत समारोह में, मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान की जाएगी। कुलपति ने बताया कि डॉ. हरिनी अमरसूर्या एनडीटीवी वर्ल्ड समिट 2025 में भाग लेने के लिए संभवत: 17-18 अक्टूबर 2025 को भारत आ रही हैं। 

                     


कुलपति ने बताया कि डॉ. हरिनी अमरसूर्या ने 1991-1994 में विदेश मंत्रालय द्वारा प्रायोजित छात्रवृत्ति के माध्यम से दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से समाजशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी। प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि डॉ. हरिनी अमरसूर्या को मानद डॉक्टरेट की उपाधि प्रदान करने के लिए एक विशेष दीक्षांत समारोह आयोजित करेगा।

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