डीयू अकादमिक परिषद की 1022 वीं बैठक में सर्वसम्मति से पारित हुआ प्रस्ताव

ऑपरेशन सिंदूर: दिल्ली विश्वविद्यालय भी भारत सरकार को देगा हर संभव समर्थन और सहयोग 

डीयू अकादमिक परिषद की 1022 वीं बैठक में सर्वसम्मति से पारित हुआ प्रस्ताव 

                               


                 

संकट की घड़ी में भारत सरकार के साथ मजबूती से खड़ा है दिल्ली विश्वविद्यालय: प्रो. योगेश सिंह 



                         


नई दिल्ली, 10 मई। 




ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान के साथ जारी तनावपूर्ण स्थितियों के बीच दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी भारत सरकार को हर संभव समर्थन और सहयोग प्रदान करने का निश्चय किया है। इस संदर्भ का प्रस्ताव शनिवार को दिल्ली विश्वविद्यालय अकादमिक परिषद (एसी) की 1022 वीं बैठक के दौरान पारित किया गया। कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए यह प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से पारित किया गया। कुलपति ने कहा कि देश में युद्ध जैसे हालातों के बीच लड़ाई लड़ने वाले जवानों के साथ-साथ आम नागरिकों के लिए भी यह कठिनाई का समय है। ऐसे में सभी लोगों और संस्थाओं को हमारी जांबाज सेना और सरकार के साथ खड़े होना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस संकट की घड़ी में दिल्ली विश्वविद्यालय भी भारत सरकार के साथ मजबूती से खड़ा है। 

अकादमिक परिषद की इस बैठक में शून्य काल के दौरान चर्चा करते हुए कुलपति ने सभी संबंधित कॉलेजों के प्रिंसिपलों को कहा कि वह गेस्ट टीचर रखने की बजाए खाली पदों पर अति शीघ्र विज्ञापन जारी करके स्थायी नियुक्तियों को प्राथमिकता दें। प्रत्येक कॉलेज अपने यहाँ खाली अथवा निकट भविष्य में किसी रिटायरमेंट के कारण खाली होने वाले पद के प्रति समय पर कार्रवाई करते हुए साल में कम से कम एक या दो बार नियुक्ति प्रक्रिया को अपनाएं। दिल्ली सरकार से जुड़े 12 कॉलेजों में नियुक्ति प्रक्रिया जारी करने के एक प्रश्न पर कुलपति ने कहा कि दिल्ली सरकार के साथ बात चल रही है; जल्द ही इसके साकारात्मक परिणाम आने की संभावना है। बैठक के आरंभ में ज़ीरो ऑवर के दौरान परिषद के सदस्यों ने अनेकों मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की और अपने-अपने विचार एवं सुझाव प्रस्तुत किए। बैठक के दौरान कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता ने 27 दिसंबर को हुई एसी की 1021 वीं बैठक के मिनट्स पुष्टिकरण के लिए अकादमिक परिषद के समक्ष रखे और बैठकों में लिए गए निर्णयों पर ‘कार्रवाई रिपोर्ट’ प्रस्तुत की। 

शैक्षणिक मामलों पर अकादमिक परिषद की स्थायी समिति की बैठकों में की गई सिफारिशों पर विचार करते हुए यूजीसीएफ़ 2022 के आधार पर विभिन्न संकाय के पाठ्यक्रमों को भी चर्चा के पश्चात स्वीकार कर लिया गया। इसके साथ ही संबंधित विभागों के पाठ्यक्रम में शामिल फ़ारसी, अरबी और उर्दू के पाठ का अंग्रेजी पाठ में अनुवाद करने के सुझाव को भी स्वीकृति प्रदान की गई। यूजीसीएफ 2022 पर आधारित कौशल संवर्धन पाठ्यक्रमों (एसईसी) की सूची में नए पाठ्यक्रमों के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स डोमेन में रोबोटिक्स एंड ऑटोमेशन तथा इंट्रोडक्शन टू आईओटी यूजिंग आर्डूइनों (Introduction to IoT using Arduino) को शामिल करने को स्वीकृति प्रदान की गई है। इसके साथ ही कंप्यूटर साइंस डोमेन में लो-कोड/नो-कोड डेवलपमेंट (Low-Code/No-Code Development) तथा लाइफ साइंस डोमेन में बायोमेडिकल साइंसेज सबडोमेन के तहत फोरेंसिक एनालिसिस ऑफ बायोलॉजिकल एविडेंस (Forensic Analysis of Biological Evidence), फॉरेंसिक टॉक्सिकोलॉजी (Forensic Toxicology), क्वेश्चनड डॉक्यूमेंट एग्जामिनेशन (Questioned Document Examination) और इंजूरी एंड डेथ (Injury and Death) को शामिल करने के प्रस्ताव को भी स्वीकृति प्रदान की गई है। 

शैक्षणिक सत्र 2024-2025 से ओपन लर्निंग डेवलपमेंट सेंटर, ओपन लर्निंग कैंपस के अंतर्गत सीआईएसबीसी में फ्रेंच, जर्मन, स्पेनिश, इतालवी और पुर्तगाली में सर्टिफिकेट स्तर के पाठ्यक्रम शुरू करने के दूरस्थ और सतत शिक्षा विभाग के प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए अनुमोदन के लिए अकादमिक परिषद को भेजने की भी सिफारिश एसी बैठक में की गई। सामाजिक विज्ञान संकाय की सिफारिशों को स्वीकार करते हुए शैक्षणिक सत्र 2025-2026 से दूरस्थ और सतत शिक्षा विभाग, एसओएल के तहत चीनी/जापानी/कोरियाई भाषाओं में प्रमाण पत्र/डिप्लोमा/एडवांस डिप्लोमा शुरू करने और रामजस कॉलेज में जापानी भाषा में एक वर्षीय एडवांस डिप्लोमा (जेपी-3) शुरू को भी एसी ने स्वीकृति प्रदान कर दी। 

 

 अकादमिक परिषद का निर्णय 

“दिल्ली विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद ने 10 मई 2025 को आयोजित अपनी 1022वीं बैठक में सर्वसम्मति से संकल्प लिया है कि विश्वविद्यालय समुदाय इस समय राष्ट्र, उसके नागरिकों, भारत सरकार तथा बहादुर सशस्त्र बलों के साथ मजबूती से खड़ा है, जब हमारे सशस्त्र बल ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से हमारे पड़ोसी पाकिस्तान द्वारा किए गए सैन्य आक्रमण को विफल करने के लिए उपयुक्त शक्ति, योजना, सटीकता और साहस के साथ सैन्य उपाय में लगे हुए हैं। 


            


दिल्ली विश्वविद्यालय इस कठिन समय में भारत सरकार को हर संभव समर्थन और सहयोग प्रदान करने का निश्चय  करता है।”

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