भाषा संस्कृति की संवाहिका होती है - प्रो. प्रत्यूष वत्सला
दिल्ली विश्वविद्यालय के लक्ष्मीबाई महाविद्यालय में भारतीय भाषा समिति और शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (19-20 मार्च,2025) का आयोजन किया गया।जिसका विषय : "डिजिटल युग में भारतीय भाषाएं एवं संस्कृति : चुनौतियाँ और समाधान" था। इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि के रूप में असम के राज्यपाल महामहिम लक्ष्मण प्रसाद आचार्य और अध्यक्ष के रूप में केंद्रीय संस्कृत विद्यापीठ,दिल्ली के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक की गरिमामयी उपस्थिति रही।महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. प्रत्यूष वत्सला ने स्वागत वक्तव्य देते हुए कहा कि आज हमें अपनी संस्कृति और परंपरा को बचाने की जरूरत है।भाषा संस्कृति की संवाहिका होती है।देश में सभी क्षेत्रों की संस्थाओं को अपनी मातृभाषा को बचाने की पहल करनी चाहिए।
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संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए लाल बहादुर शास्त्री केंद्रीय संस्कृत विद्यापीठ,दिल्ली के कुलपति प्रो. मुरली मनोहर पाठक ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि भाषाई दर्शन से ही हम संस्कृति और परंपरा का ज्ञान करते हैं।क्योंकि शब्द को ही ब्रह्म कहा गया है। एक शब्द को ठीक से जानना जरूरी है।भारत अपने पुरातन सांस्कृतिक परंपरागत दिशा की ओर जा रहा है।इसीलिए नई शिक्षा नीति में मातृभाषा पर ज्यादा जोर दिया जा रहा है।
इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि महामहिम राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य ने अपने भाषण में भारतीय भाषा और संस्कृति के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि भारत भाषाई विविधता का देश है।हमें विकास के दौर में अपनी विरासत नहीं खोनी है,बल्कि उसे सहेजने की जरूरत है।भाषा सामाजिक संबंधों को बनाए रखने की थाती है।हमें बढ़ते डिजिटल युग में अपनी गंवई भाषा को बचाए रखने की जरूरत है। भाषा राष्ट्र निर्माण का सशक्त माध्यम होती है।
उद्घाटन सत्र के संचालक डॉ.सुनील कुमार मिश्र ने भाषाई चुनौतियों को पहचानने पर बल देते हुए उसके विभिन्न पहलुओं को सबके सामने रखा।डॉ. प्रियंका कुमारी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।प्रथम तकनीकी सत्र के अतिथि वक्ता प्रो .सरोज शर्मा ने भाषाई चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए उनसे होने वाले खतरों की तरफ से ध्यान खींचा।दूसरे अतिथि वक्ता प्रो.भारती गोरे ने अपने वक्तव्य में भाषाई संस्कृति को बचाने बल बल देते हुए संस्थाओं में भाषा के प्रयोगशाला की जरूरत पर बल दिया।इस सत्र के अध्यक्ष प्रो. के जी सुरेश ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में डिजिटल युग में भारतीय भाषाओं के महत्त्व को रेखांकित करते हुए कहा कि हमें डिजिटल माध्यम से भी अपनी भाषाओं के संवर्द्धन में काम करना चाहिए।इस सत्र का संचालन डॉ.स्वीटी ने किया।
इस संगोष्ठी में प्रो लता शर्मा,प्रो अनीता मल्होत्रा,प्रो अलका हरनेजा,प्रो प्रमिला, डॉ. सुमित मीना, डॉ. श्वेतांक,डॉ. मुकेश महतो आदि शिक्षकों के साथ श्यामलाल महाविद्यालय (सांध्य) से आये शिक्षक डॉ. नीरज कुमार मिश्र सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थियों की उपस्थिति रही।