अतिथि शिक्षको, शोधार्थियों का धरना तीसरे दिन पहुंचा

अतिथि शिक्षको, शोधार्थियों का  धरना तीसरे दिन पहुंचा 

                       



  नई दिल्ली: दिल्ली विश्वविद्यालय के अतिथि शिक्षक एवं शोधार्थियों द्वारा संयुक्त रूप से अनिश्चितकालीन धरना तीसरे दिन भी जारी रहा। ये वही शिक्षक, शोधार्थी हैं जो लगातार विश्वविद्यालय प्रशासन से सभी योग्य अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाने की मांग कर रहें है। चूंकि इन सभी को स्थायी नियुक्ति के लिए साक्षात्कार प्रक्रिया से जबरन वंचित कर दिया है। ये सभी अतिथि शिक्षक एवं शोधार्थी पिछ्ले कईं वर्षों से साक्षात्कार में शामिल हो रहे थे लेकिन विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा साक्षात्कार की चलती भर्ती प्रक्रिया के बीच एक मनगढंत और निहायती बेबुनियादी मेरिट का आधार बनाकर सहायक प्रोफेसर भर्ती प्रक्रिया से वंचित किया जा रहा है। विश्विद्यालय ने भर्ती प्रकिया के नियम अपने अनुसार परिवर्तन कर दिए जोकि यूजीसी शिक्षक पात्रता नियम 2018 और सुप्रीम कोर्ट के आदेश की सरासर अवहेलना करता है। इस बाबत अतिथि शिक्षको और शोधार्थी कई बार विश्वविद्यालय प्रशासन से अपनी मांग आंदोलन और पत्राचार के माध्यम से कर चुके हैं। लेकिन अब तक इनकी माँग पर कोई विचार नहीं हुआ है। यह बड़ी दुर्भाग्य की बात है कि इन शिक्षकों को धरना देने से भी प्रशासन रोक रहा है। जो अतिथि शिक्षक कॉलेज में पढ़ा रहें है उनको भी प्रिंसिपल द्वारा डराया धमकाया जा रहा है। जोकि इनके मौलिक अधिकारों को दबाने जैसा है। दिल्ली विश्विद्यालय के शिक्षकों का आंदोलन कल भी जारी रहेगा। इनकी मांग है कि विश्वविद्यालय प्रशासन जब तक हमारी प्रमुख मांगों Fuel मान नहीं लेगा हम आंदोलन को जारी रखेंगे। आज इन शिक्षकों और शोधार्थियों के आंदोलन को समर्थन देने डुटा एक्टिविस्ट इंटेक चेयरमैन प्रो. अश्विनी शंकर धरना स्थल पर आये और विश्वविद्यालय प्रशासन के गैर-लोकतांत्रिक, असंवैधानिक कार्यशैली की निंदा करते हुए कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन अपने आदतों एवं असंवैधानिक नियुक्ति नियम को तत्काल वापस करके यूजीसी शिक्षक नियुक्ति नियम 2018 के आधार पर ही न्यूनतम अर्हता धारक सभी अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाना चाहिए, अतिथि शिक्षकों को शिक्षण अनुभव अवश्य देना चाहिए क्योंकि इनकी नियुक्ति संवैधानिक चयन समिति द्वारा होती है,2000 रुपये आवेदन शुल्क अभ्यर्थियों पर आर्थिक बोझ देने जैसा कृत्य है। इन शिक्षकों और शोधार्थियों की प्रमुख मांग 50 एपीआई बहाल हो,

आवेदन शुल्क 500 रुपये से अधिक ना हो,

अतिथि शिक्षकों को शिक्षण अनुभव दिया जाय.मौलिक अधिकारों का हनन करने वाली नयी स्क्रीनिंग व्यवस्था रद्द किया जाय। बातचीत करते समय इन शिक्षकों का कहना है कि यदि प्रशासन हमारी मांग को पूर्णतया स्वीकार नहीं किया तो धरना का प्रारुप और गतिविधि में परिवर्तन करके आंदोलन होगा।

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