दुनिया में पहला गणराज्य देने वाले हम थे: कृष्ण गोपाल

 दुनिया में पहला गणराज्य देने वाले हम थे: कृष्ण गोपाल 

हम केवल ग्लोबल नॉलेज के कंज़्यूमर ना रहें, बल्कि प्रोड्यूसर बनें: शिक्षा मंत्री आशीष सूद  


                    


भारत हजारों साल रहा है विश्व की आर्थिक राजधानी: प्रो. योगेश सिंह  

डीयू में हुआ भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आधारित “भारत बौद्धिक्स” पुस्तक श्रृंखला का विमोचन

नई दिल्ली, 20 नवंबर। 

दिल्ली विश्वविद्यालय एवं विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान द्वारा भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आधारित “भारत बौद्धिक्स” पुस्तक श्रृंखला का विमोचन गुरुवार को डीयू के वाइस रीगल लॉज में हुआ। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल मुख्य अतिथि रहे और उनके साथ विशिष्ट अतिथि के तौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के शिक्षा मंत्री आशीष सूद उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की। इस कार्यक्रम में भारतीय ज्ञान परंपरा आधारित 21 पुस्तकों का हिन्दी और अंग्रेजी में विमोचन किया गया। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ. कृष्ण गोपाल ने अपने संबोधन में कहा कि दुनिया को पहला गणराज्य देने वाले हम थे। दुनिया को अंक देने वाले हम थे। उन्होंने कहा कि भारतीय सभ्यता 8 हजार वर्ष से भी अधिक पुरानी है। पूरे यूरोप को सिविलाइजेशन ग्रीक से मिला और ग्रीक को भारत से मिला। उन्होंने दिल्ली में लौह स्तंभ का उदाहरण देते हुए कहा कि हजारों डिग्री तापमान पर धातु को पिघलाकर इस स्तम्भ का निर्माण किया गया था। यानि उस समय में कोई तो इतनी बड़ी फर्नेस भारत में रही होगी। उन्होंने कहा कि दुनिया में पहली डेंटल सर्जरी भारत में 7 हजार साल पहले हुई। डॉ. कृष्ण गोपाल ने बताया कि विद्या भारती वर्तमान में 13 हजार से अधिक विद्यालय चला रही है जिनमें 34 लाख बच्चे पढ़ रहे हैं। इन विद्यालयों से पढ़कर 40 लाख बच्चे सामाजिक जीवन में आ गए हैं। 

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने कहा कि भारतीय शिक्षा नीति कहती है कि हम केवल ग्लोबल नॉलेज के कंज़्यूमर ना रहें, बल्कि प्रोड्यूसर बनें। उन्होंने कहा कि देश के एक कोने में डीयू में बैठकर जिस प्रकार यहाँ के शिक्षकों ने भारतीय ज्ञान परंपरा पर ये पुस्तकें लिखी हैं उसके लिए डीयू बधाई का पात्र है। शिक्षा मंत्री ने डीयू में हो रहे शोध कार्य के लिए भी डीयू को बधाई दी। 

डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि भारत हजारों साल विश्व की आर्थिक राजधानी रहा है। उसे समझने के लिए भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित ऐसी पुस्तकों का पढ़ा जाना जरूरी है। कुलपति ने कहा कि हजारों साल पुरानी भारतीय सभ्यता का आधार ज्ञान रहा है। एनईपी 2020 का आग्रह है कि भारतीय ज्ञान परंपरा का शिक्षा में समावेश हो। 

इस अवसर पर विशेष अतिथि प्रो. अनिल डी. सहस्रबुद्धे (पूर्व अध्यक्ष GB- IKS; अध्यक्ष, NETF; कार्यकारी परिषद - NAAC एवं NBA), विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. कैलाश चन्द्र शर्मा, एयूडी कुलपति प्रो. अनु लाठर, प्रो. शशिकला वंजारी, कुलसचिव डॉ विकास गुप्ता, प्रो. रबी नारायण कर (अध्यक्ष, दिल्ली प्रांत विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान), प्रशांत जैन (प्रबंध निदेशक, किताब वाले), प्रो. राज किशोर शर्मा (सचिव, दिल्ली प्रांत विद्या भारती उच्च शिक्षा संस्थान) सहित अनेकों विश्वविद्यालयों के कुलपति, प्रिंसिपल और अनेकों शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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