डॉ बीआर अंबेडकर ने किया अंग्रेजों के सिस्टम को चैलेंज: अर्जुन राम मेघवाल
अंबेडकर देश के पहले वित्त मंत्री होते देश कभी का विकसित राष्ट्र होता: प्रो. योगेश सिंह
संविधान दिवस के अवसर पर डीयू में हुआ डॉ बीआर अंबेडकर की पुस्तक पर सेमिनार का आयोजन
नई दिल्ली, 24 नवंबर।
संविधान दिवस के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स (डीएसई) एवं सेंटर फॉर सोशल डेवलपमेंट (सीएसडी) के सामूहिक तत्वावधान में डॉ. बी. आर. अंबेडकर की पुस्तक “द इवोल्यूशन ऑफ प्रोविंशियल फाइनेंस इन ब्रिटिश इंडिया: ए स्टडी इन द प्रोविंशियल डिसेंट्रलाइजेशन ऑफ इंपीरियल फाइनेंस” पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन सोमवार को किया गया। इस अवसर पर भारत सरकार के कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मुख्यातिथि रहे। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने की।
कार्यक्रम के मुख्यातिथि कानून और न्याय राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने संबोधन में कहा कि पूरे संसार के लोग बाबा साहब डॉ बीआर अंबेडकर को विख्यात अर्थशास्त्री मानते है। ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजों के सिस्टम को चैलेंज करना कोई आसान बात नहीं थी, लेकिन डॉ अंबेडकर ने यह किया। मेघवाल ने डॉ अंबेडकर की पुस्तक “द इवोल्यूशन ऑफ प्रोविंशियल फाइनेंस इन ब्रिटिश इंडिया: ए स्टडी इन द प्रोविंशियल डिसेंट्रलाइजेशन ऑफ इंपीरियल फाइनेंस” को लेकर कहा कि आज से 100 वर्ष पहले यह पुस्तक लिखी गई थी। और जब देश आजाद हुआ तो केंद्र और राज्यों के बीच संबंधों व संसाधनों के बँटवारे तथा वित्त आयोग के गठन आदि को लेकर 56 बैठकें हुई। उन सभी बैठकों में बाबा साहब बीआर अंबेडकर उपस्थित रहे और कई बैठकों में इस पुस्तक की चर्चा हुई, कई लेखकों ने उसके बारे में लिखा है। लेकिन हम अनजान थे, कुछ लोग तो बाबा साहब के बारे में चर्चा करते हुए उन्हें संविधान निर्माता, दलितों के मसीहा और आरक्षण समर्थक तक ही सीमित कर देते हैं, आगे बढ़ते ही नहीं। लेकिन वह पत्रकार भी थे, आर्थिक मामलों के जानकार भी थे, वो मनोवैज्ञानिक भी थे और एंथ्रोपोलोजिस्ट भी थे। मेघवाल ने कहा कि अंबेडकर ने अपनी यह पुस्तक महाराजा बड़ौदा सयाजीराव गायकवाड़ को समर्पित की थी, क्योंकि महाराजा सियाजीराव ने उन्हें पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप दी थे। यह हमें सिखाता है कि अगर कोई हमारे लिए कुछ करे तो हमें उसका आभार भी प्रकट करना चाहिए।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि डॉ बीआर अंबेडकर का पूरा ज़ोर शहरीकरण पर था। वह ग्रामीण क्षेत्रों में भी शहरी सुविधाएं देने के पक्षधर थे। उस दौर में वह मानते थे कि देश के आर्थिक विकास के लिए भारी उद्योगों की स्थापना जरूरी है। कुलपति ने कहा कि अगर 1952 में वह देश के पहले वित्त मंत्री होते तो भारत काफी पहले विकसित राष्ट्र बन चुका होता। हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का जो संकल्प अब लिया है, उसकी जरूरत नहीं पड़ती। आज हमारे प्रधानमंत्री भारत को आगे बढ़ाने के लिए कुछ नए संकल्प ले रहे होते। प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि डॉ बीआर अंबेडकर भारत की सरकार के आदर्श हैं और भारत के प्रधानमंत्री के पथ प्रदर्शक हैं। अंबेडकर का अध्ययन चाहे किसी भी क्षेत्र में रहा हो, वह भारत के कल्याण को मध्य में रख कर किया गया है।
दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस रीगल लॉज स्थित कोनवेंशन हाल में आयोजित सेमिनार के इस उद्घाटन सत्र के आरंभ में डीएसई के निदेशक प्रो. राम सिंह ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। उन्होंने अतिथियों का स्वागत करने के उपरांत सेमिनार के विषय पर गहनता से प्रकाश डाला। इस अवसर पर डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी, दक्षिणी परिसर की निदेशक प्रो. रजनी अब्बी और रजिस्ट्रार डॉ विकास गुप्ता सहित अनेकों डीन, डायरेक्टर, प्रिंसिपल, शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे। उद्घाटन सत्र के समापन पर सेमिनार के कोऑर्डिनेटर डॉ राजकुमार फलवारिया ने धन्यवाद ज्ञापित किया।




