डीयू कुलपति ने किया माइक्रोकॉन 2025 का शुभारंभ
भारत को अपने चिकित्सकों, वैज्ञानिकों और माइक्रोबायोलॉजी के प्रोफेसरों पर है गर्व: प्रो. योगेश सिंह
प्रो. योगेश सिंह ने सार्वजनिक स्वास्थ्य को सशक्त बनाने में माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स की महत्वपूर्ण भूमिका पर भी बल दिया। इस सम्मेलन का आयोजन इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स (IAMM) द्वारा (29 अक्टूबर से 2 नवम्बर 2025) किया गया था। इस राष्ट्रीय कांग्रेस में उभरते रोगजनकों, एएमआर और नैदानिक नवाचारों पर चर्चा के लिए अग्रणी विशेषज्ञ एकत्रित हुए। इंडियन एसोसिएशन ऑफ मेडिकल माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स (IAMM) की 48वीं वार्षिक कांग्रेस का आयोजन इंस्टीट्यूट ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी, सर गंगा राम अस्पताल (SGRH), राजिंदर नगर, नई दिल्ली और मेडिकल माइक्रोबायोलॉजी विभाग, मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज (MAMC), नई दिल्ली द्वारा संयुक्त रूप से किया गया.
सम्मेलन के आयोजन अध्यक्ष डॉ. चाँद वाट्टल ने बताया कि इस सम्मेलन में देशभर के 150 से अधिक संस्थानों से आए 1800 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इसमें AIIMS, PGIMER, JIPMER और मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (MAMC) सहित प्रमुख चिकित्सा संस्थानों के विशेषज्ञों द्वारा 26 से अधिक कार्यशालाएँ और निरंतर चिकित्सा शिक्षा सत्र (CME) आयोजित किए गए। सम्मेलन की वैज्ञानिक रूपरेखा में उभरते संक्रामक रोग, एंटी माइक्रोबियल रेजिस्टेंस (AMR), डायग्नोस्टिक इनोवेशन, संक्रमण की रोकथाम, और भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों की तैयारी जैसे विषय शामिल रहे।
आयोजन अध्यक्ष डॉ. चाँद वाट्टल और डॉ. सोनल सक्सेना ने कहा कि माइक्रोबायोलॉजिस्ट्स भारत की स्वास्थ्य सुरक्षा की रीढ़ हैं, जो सटीक निदान सुनिश्चित करते हैं, उपचार का मार्गदर्शन देते हैं और संक्रमण के प्रसार को रोकते हैं।” आयोजन सचिव डॉ. जसविंदर ओबेरॉय ने बताया कि हमारे समुदाय ने पोलियो उन्मूलन से लेकर कोविड-19 महामारी तक हर चुनौती का सामना किया है, जो हमारी नवाचार क्षमता और सेवा भावना को दर्शाता है। डॉ. विकास मनचंदा, सह-आयोजन सचिव, ने कहा कि इस क्षेत्र के युवा साथियों के लिए यह सम्मेलन उन्हें ‘प्रैक्टिस-रेडी’ और ‘फ्यूचर-रेडी’ बनने में मदद करेगा, जिससे वे वर्तमान और भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों का आत्मविश्वास से सामना कर सकें। डॉ. बी.एल. शेरवाल, सलाहकार, आयोजन समिति ने कहा, “आइए हम अपनी उपलब्धियों का उत्सव मनाएँ और एक स्वस्थ भारत के निर्माण के लिए विज्ञान को आगे बढ़ाने के संकल्प को दोहराएँ।”
सम्मेलन में डायग्नोस्टिक स्टीवार्डशिप और एंटीमाइक्रोबियल स्टीवार्डशिप जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विशेष सत्र आयोजित किए गए जो रोगों के सटीक निदान, संक्रमण की रोकथाम और एंटीबायोटिक दवाओं के विवेकपूर्ण उपयोग को प्रोत्साहित करते हैं।



