डिजिटल परिवर्तनों के माध्यम से अंतर-पीढ़ीगत सद्भाव को बढ़ावा देने की जरूरत है : गिरीश्वर मिश्र

 डिजिटल परिवर्तनों के माध्यम से अंतर-पीढ़ीगत सद्भाव को बढ़ावा देने की जरूरत है : गिरीश्वर मिश्र 



विवेकानंद कॉलेज (डीयू) में 'डिजिटल युग में वृद्धावस्था' पर राष्ट्रीय सम्मेलन संपन्न 

सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा संस्थान के सहयोग से विवेकानंद कॉलेज में "डिजिटल युग में वृद्धावस्था: सामाजिक परिवर्तन और उससे आगे की यात्रा" शीर्षक से दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का सफलतापूर्वक समापन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस मनाते हुए हमारी तेजी से विकसित हो रही डिजिटल दुनिया में बुजुर्गों को प्रभावित करने वाले मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाना था। सम्मेलन ने एक बहु-विषयक मंच प्रदान किया, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों के लिए प्रमुख चुनौतियों और समाधानों पर चर्चा करने के लिए मनोविज्ञान, समाजशास्त्र, प्रौद्योगिकी, व्यवसाय, स्वास्थ्य सेवा और नीति के विशेषज्ञों को एक साथ लाया गया। कार्यक्रम में क्षेत्र के अग्रणी विशेषज्ञों की अंतर्दृष्टि शामिल थी। दिल्ली विश्वविद्यालय में मनोविज्ञान विभाग की प्रमुख प्रो. नंदिता बाबू और जीबी की अध्यक्ष और सम्मेलन की संरक्षक प्रो. नीरा अग्निमित्रा ने महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. हिना नंदराजोग और आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ की संयोजिका प्रो. वनिता सोंधी के साथ उद्घाटन सत्र में चर्चाओं के लिए माहौल तैयार किया।  अन्य प्रमुख वक्ताओं में एमजीआईएचयू (वर्धा) के पूर्व कुलपति प्रो. गिरीश्वर मिश्रा, ने कहा कि डिजिटल परिवर्तनों के माध्यम से अंतर-पीढ़ीगत सद्भाव को बढ़ावा देने और वरिष्ठों नागरिकों को सशक्त बनाने की जरूरत है।जेएनयू के प्रो. अरविंद कुमार मिश्रा और फ्लेम यूनिवर्सिटी (पुणे) की डॉ. तनिष्ठा सामंथा शामिल थीं। वरिष्ठ नागरिकों का समर्थन करने वाले एक गैर सरकारी संगठन अनुग्रह की अध्यक्ष डॉ. आभा चौधरी और भारत के सर्वोच्च न्यायालय में एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड सुश्री शिस्बा चावला ने बुजुर्गों के अधिकारों सहित महत्वपूर्ण मुद्दों पर बात की। डॉ. शाद अहमद खान, डॉ. बौमेडियन शन्नाक और डॉ. देवराजनायक सहित ओमान के बुरामी विश्वविद्यालय के अंतर्राष्ट्रीय वक्ताओं ने आज की डिजिटल दुनिया में उम्र बढ़ने से संबंधित वैश्विक मुद्दों पर बातचीत शुरू की।

सम्मेलन के प्रमुख विषयों में उम्र बढ़ने पर डिजिटल दृष्टिकोण, डिजिटल दुनिया में अंतर-पीढ़ीगत संपर्क और वृद्धों पर प्रौद्योगिकी का प्रभाव शामिल थे। मुख्य चर्चा  उम्र बढ़ने की डिजिटल कहानियों, डिजिटल परिवर्तनों के माध्यम से अंतर-पीढ़ीगत सद्भाव को बढ़ावा देने और वरिष्ठों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से सहयोग पर केंद्रित थीं।  इसके अतिरिक्त, सम्मेलन में धर्म, अध्यात्म और डिजिटल युग के अंतर्संबंधों के साथ-साथ बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच, सामाजिक अलगाव, अकेलापन और ऑनलाइन संचार की भूमिका जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा की गई।सत्र के अंत में कार्यक्रम में कराए गए विभिन्न प्रतियोगिताओं में जीतने वाली छात्राओं को पुरस्कृत किया गया। मनोविज्ञान विभाग के प्रभारी डॉ. सुजीत त्रिपाठी ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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