संविधान दिवस पर डीयू में ली शपथ
भारतीय संविधान ने रखा देश की एकता और अखंडता को कायम: प्रो. योगेश सिंह
नई दिल्ली, 26 नवम्बर।
भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ के अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि यह भारतीय संविधान की ताकत ही है कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा और प्रभावी लोकतन्त्र बना है। उन्होंने कहा कि संविधान ने सदा देश की एकता और अखंडता को कायम रखा है। कार्यक्रम के आरंभ में कुलसचिव ड्रॉ. विकास गुप्ता के निर्देशन में उपस्थित सभी अधिकारियों ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पाठन किया और शपथ ली। इस अवसर पर डीन अकादमिक प्रो. के. रत्नाबली ने संविधान पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि जब संविधान की रचना हुई, वह कोई शांतिकाल नहीं था। देश जहां विभाजन की विभीषिका झेल रहा था वहीं अनेकों संघर्षों का भी सामना कर रहा था। जब देश में अफरा तफरी का माहौल व्याप्त था, ऐसे समय में इतना अच्छा संविधान बनाना कोई छोटा काम नहीं था। कुलपति ने कहा कि डॉ भीम राव अंबेडकर को संविधान लिखने का जो काम मिला, वह उतना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने सामूहिक निर्णयों से इसे वर्तमान प्रारूप दिया।
प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि संविधान सभा के कुछ सदस्य भारत में ग्राम आधारित राजनीतिक व्यवस्था के पक्षधर थी, जबकि बीआर अंबेडकर ने केंद्रीय व्यवस्था को मंजूर करवाया। यह बहुत बड़ी उपलब्धि थी। अंबेडकर भारत के मन को समझते थे। उन्होंने भविष्य की स्थिति को समझते हुए देश में फेडरेशन ऑफ स्टेट्स की बजाए यूनियन ऑफ स्टेट्स के लोकतंत्र को चुना। यही कारण है कि इस मजबूत केंद्रीय व्यवस्था से भारत की एकता मजबूत हुई है। प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि आजादी एक बाद इतनी समस्याओं से यह देश गुजारा है, लेकिन फिर भी संविधान ने इसे संभाले रखा, यही संविधान की उपलब्धि है। कुलपति ने सभी से आह्वान किया कि अगले 20-25 वर्ष देश को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए काम करें। हमें देश की चिंता करनी चाहिए, देश रहेगा तो हम रहेंगे। इस अवसर पर दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. श्रीप्रकाश सिंह, रजिस्ट्रार डॉ विकास गुप्ता, प्रॉक्टर प्रो. रजनी अब्बी और डीन अकादमिक प्रो. के. रत्नाबली सहित अनेकों अधिकारी उपस्थित रहे।