मुख्यमंत्री पद से दूरी : एकनाथ शिंदे की मजबूरी और जरुरी !
"मैंने कभी भी अपने आप को मुख्यमंत्री नहीं समझा, मैंने हमेशा एक आम आदमी की तरह काम किया है. मेरे लिए सीएम का मतलब है कॉमन मैन."
महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने 27 नवंबर, 2024 को हुई प्रेस कॉन्फ्रेंस में कही थी.
Image: Twitter account Eknath Shinde
भारतीय जनता पार्टी द्वारा देवेंद्र फडणवीस को नेता चुनकर राज्य में बागडोर की समस्या को समाप्त कर दिया गया ।
भारतीय जनता पार्टी के इस फैसले से 'महायुति' में शामिल शिवसेना (शिंदे) के प्रमुख एकनाथ शिंदे सीएम पद छोड़ना पड़ा। इस पद को छोड़ना एकनाथ शिंदे की मजबूरी थी या जरूरी। तो स्पष्ट है कि मजबूरी से ज्यादा जरूरी था। एक तो कि भारतीय जनता पार्टी की सीट उनसे अधिक है और दूसरी की शिंदे की पार्टी सत्ता से दूर रही तो उसका जनाधार खिसक सकता है।
एक तीसरा पक्ष जिस पर ध्यान नहीं जाता है कि भारतीय जनता पार्टी का साथ न देने के कारण उनकी पार्टी टूट जाती तो उनके पास क्या बचेगा ऐसे में उनका यह फैसला कहीं से चौकाने वाला नही था पर मजबूरी वाला जरूरी था।
महाराष्ट्र की राजनीति पर नज़र रखने वाले विशेषज्ञों के मुताबिक़ पूर्व मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे के पास इसके अलावा कोई विकल्प भी नहीं था और उनके गुट के लिए बहुत ज़रूरी है कि वो राज्य की सत्ता में बना रहे.
वरिष्ठ पत्रकार जयदेव डोले शिंदे के इस निर्णय को लेकर थोड़ी अलग राय रखते हैं.जयदेव कहते हैं, '' शायद उन (शिंदे) पर कोई इमोशनल दबाव डाला गया होगा कि फडणवीस बन सकते हैं तो आप क्यों नहीं बन सकते.''
''दूसरा कारण यह हो सकता है कि आने वाले चुनावों में अगर शिवसेना को यानी शिंदे गुट को बहुमत से जीतना है तो उनको सत्ता में रहना ज़रूरी है.''
“क्योंकि सत्ता के बगैर वो संगठन नहीं चला सकते हैं. और दोनों शिवसेनाएं बूढ़ी हो चुकी हैं. शिवसैनिक जो हम देखते हैं, उनकी उम्र पचास-साठ साल के ऊपर है.''
“शिंदे ने प्रैक्टिकल सोच रखी होगी कि सत्ता में रहकर ही शिवसेना जीत सकती है.''
Credits: जयदेव डोले शिंदे, Eknath Shinde Twitter, Nd other sources